*UNANI MEDICINES RESEARCH CENTER*
(यूनानी मेडीसींस रिसर्च सेंटर)
*(An ISO 9001:2015 certified company)*
*(UDYAM-BR-03-0004688)*
(आपसे निवेदन है कि मेरे इस “पैग़ाम” को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाने की हर मुमकिन कोशिश करें।)
अगर आप बरसों से कैंसर, डायबिटीज, हाई बीपी, हार्ट ब्लाकेज, मोटापा, थायरॉइड, कोलेस्ट्रॉल, दमा, गठियावात, सोरियासिस, किडनी फेल्योर, लीवर और ऐब्डोमिनल डिसआर्डर, डायलिसिस, इत्यादि लाईफ स्टाईल डीज़ीज़ से पीड़ित हैं और अंग्रेज़ी दवाओं का लगातार सेवन करने की लत लगी हुई है तो आज ही से आपकी सभी दवाएं छूट सकती है।
केवल चार से छ: माह के लिए मेरी एक युनिक यूनानी दवा “HEALTH IN BOX™” का पाबन्दी से सेवन करेंगे तो आपकी बीमारी हमेशा के लिए “REVERSE” हो जाएगी। फिर भविष्य में कभी भी किसी दवा की भी ज़रूरत नहीं पड़ेगी, इनशा अल्लाह।
अंग्रेज़ी दवाओं के अंधाधुंध इस्तेमाल करवाकर ही आपको डायलिसिस तक धकेला जा रहा है।
डायबिटीज की दवाओं का ही नतीजा है लोग अंधापन का शिकार हो रहे हैं, किडनी फेल हो रहा है और लोवर लिम्ब काटने की नौबत आ रही है।
बीपी कम करनेवाली अंग्रेज़ी दवाओं से आपका दिल कमज़ोर हो रहा है, और नौबत हार्ट अटैक और लकवा तक पहुंच रहा है।
कोलेस्ट्रॉल कम करने की दवा STATIN से हार्ट ब्लाकेज, बांझपन और नामर्दी की शिकायत बहुत ही ज़्यादा बढ़ गई है।
सावधान रहें स्वस्थ रहें, और एक बार अवश्य विचार करें कि आपको सेहतमन्द रहकर जीना है या अंग्रेज़ी दवा का सेवन करते हुए ज़िन्दा रहने का असफल प्रयास करते हुए मृत्यु को प्राप्त करना है।
फैसला आपको ही करना है, और आज ही।
चीनी खाने से होने वाले नुकसान
चीनी कभी न खाएं। चीनी में शरीर के काम आने वाला एक भी पोषक तत्व नहीं होता। चीनी का मीठापन SUCROSE के कारण होता है। जो कि शरीर में हज़म नहीं होता।
अगर होता है तो बहुत मुश्किल से होता है, जिसके साथ इसे आप खाओगे उसे भी हज़म नहीं होने देता। जो मीठापन हमारे काम का है, वो FRUCTOSE होता है। सभी फलों में मीठापन FRUCTOSE के कारण होता है।
चीनी तभी से भारत में आई है जब से अंगरेज आए हैं। 1868 में सबसे पहली चीनी की मिल लगीं। पहले इसे मुफ्त में बंटवाया गया। चीनी से मोटापा बढ़ता है। चीनी से कोलेस्ट्रॉल बढ़ता है।
जिससे 103 बीमारियाँ आती हैं।चीनी छोड़ने के बाद घुटनों का दर्द, कमर दर्द, गर्दन का दर्द सब में आराम मिलेगा। माइग्रेन, सर्दी-जुकाम, नींद अच्छी आएगी।
स्नोफिलिया, साइनस जैसी बीमारियों में भी लाभ मिलने लगेगा। चीनी बनाने में पानी बहुत बर्बाद होता है। चीनी मिलों के कचरे से वातावरण बहुत प्रदुषित होता है ।
चीनी में सबसे ज्यादा सल्फर पाया जाता है। जिसे हिन्दी में गंधक कहते हैं। जो कि पटाखे बनाने में काम आता है। ये सल्फर अंदर जानें के बाद बाहर नहीं निकलती।
गुड़ में पोटैशियम, फास्फोरस, कैल्शियम आदि जैसे सभी पोषक तत्व होते हैं। गुड़ बनाने के लिए बाहर से कुछ भी मिलाया नहीं जाता। भोजन के बाद थोड़ा गुड जरूर खायें। क्योंकि यह ख़ाना पचाने में बहुत मदद करता है।
HAKEEM MD ABU RIZWAN
BUMS,hons.(BU)
UNANI PHYSICIAN
Spl in LIFESTYLE DISEASES
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